जानिए कौन थे खाशाबा दादासाहेब जाधव, गूगल ने किया सम्मानित | Khashaba Dadasaheb Jadhav Biography in Hindi

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आजकल लगभग सभी लोग खाशाबा दादासाहेब जाधव के बारे में बात कर रहे हैं। गूगल द्वारा भी 15 जनवरी को खाशाबा दादासाहेब जाधव का उनके जन्मदिन पर डूडल बनाया था और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। यह दुनिया के सबसे महान पहलवानों में से एक हैं और इसलिए लोग Khashaba Dadasaheb Jadhav Biography in Hindi को भी पढ़ना चाहते हैं और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।

Khashaba Dadasaheb Jadhav biography in hindi

तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम Khashaba Dadasaheb Jadhav biography in hindi में पढ़ते हैं और जानते हैं कि इन्होंने कैसे ओलंपिक में पहलवानी का पदक जीता?

खाशाबा दादासाहेब कौन थे? (Khashaba Dadasaheb Jadhav Biography in Hindi)

Khashaba Jadhav information को जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि यह कौन थे और इनको इतना क्यों याद किया जाता है? तो हम आपको बता दें कि यह एक एथलीट और पहलवान थे जिन्होंने 1952 की ओलंपिक में हेलेन्सिकी में सबसे पहला कांस्य पदक जीता था और भारत देश का नाम रोशन किया था।

दरअसल केडी जाधव भारत के सबसे पहले एथलीटों में से एक थे जिन्होंने भारत के लिए पहलवानी में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भी 1948 में की थी और उसके बाद 1952 में ओलंपिक का पदक जीतकर लाइमलाइट में आए। इसके साथ ही कुश्ती के क्षेत्र में इन्हें अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

खाशाबा दादासाहेब जाधव का प्रारंभिक जीवन परिचय

खाशाबा दादासाहेब जाधव का जन्म 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में गोलेश्वर गांव में हुआ था। इन्हे हम केडी जाधव के नाम से भी जानते हैं। इनके पिता का नाम दादासाहेब जाधव था जो कि एक पहलवान थे। इनका परिवार शुरू से ही पहलवानी और कुश्ती के क्षेत्र में था जिसके कारण केडी जाधव जी भी पहलवानी के क्षेत्र में ही आगे बढ़े।

इसके बाद खाशाबा जाधव जी की शिक्षा 1940 से 1947 तक चली जोकि सतारा के कराड तालुका गांव में तिलक हाई स्कूल से पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने बचपन से ही पहलवानी सीखना भी शुरू कर दिया था। साथ ही इनके परिवार भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल थे जिसके अंतर्गत इन्होंने कुछ भारतीय क्रांतिकारियों को रहने और सपने में भी मदद की थी। 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ था तब इन्होंने ओलंपिक में तिरंगा झंडा लहराने की शपथ भी ली थी।

खाशाबा जाधव जी का कुश्ती में करियर (Khashaba Dadasaheb Jadhav Career Biography in Hindi)

तो जैसा कि हमने आपको बताया केडी जाधव जी को बचपन से ही कुश्ती करने का शौक था क्योंकि उनके परिवार भी कुश्ती के क्षेत्र में ही थे। इसीलिए उनके करियर की शुरुआत सबसे पहले अपने घर से हुई और इनके सबसे पहले कोच इनके पिता दादा साहेब जी थे।

जब केडी जाधव जी कॉलेज में थे तब भी इन्होंने कुश्ती सीखना जारी रखा और उस समय उनके कोच गुरु बाबूराव बलवाड़ा और बेलापूरी बने। हालांकि यह कुश्ती के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे परंतु इन्होंने कॉलेज में भी अच्छे ग्रेड लाए थे।

धीरे-धीरे उन्होंने सन 1948 में अपने असली कुश्ती की शुरुआत की और लंदन में 1948 के ओलंपिक में इन्होंने काफी ज्यादा सुर्खियां बटोरी। हालांकि यह 1948 के ओलंपिक में नहीं जीत पाए थे लेकिन यह छठे स्थान पर रहे थे। लेकिन 1948 में यह लाइमलाइट में इसलिए बने रहे क्योंकि पहली बार किसी भारतीय ने व्यक्तिगत रूप से इतनी ऊंची श्रेणी प्राप्त की थी।

1948 में ओलंपिक ना जीतने का इन्हें काफी दुख था इसीलिए इन्होंने 4 साल तक 1952 के ओलंपिक के लिए काफी ज्यादा प्रशिक्षण लिया और मेहनत भी की। साथ ही साथ इन्होंने अपने भर में भी सुधार किया और फ्लाईवेट वर्ग में भी हिस्सा लिया था।

1952 के ओलंपिक में इन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और मेक्सिको, जर्मनी, कनाडा, जैसे- देशों के पहलवानों को भी हराया था। हालांकि यह सेमीफाइनल में हार गए थे लेकिन उन्होंने भारत के लिए पहला व्यक्तिगत कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था।

ओलंपिक जीतने के बाद इन्होंने 1955 में पुलिस विभाग ज्वाइन किया जहां पर यह सब इंस्पेक्टर थे। लेकिन बाद में इन्हें पेंशन के लिए काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा था।

खाशाबा जाधव जी का ग्रीष्मकालीन ओलंपिक 1948

1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में इन्हें यात्रा का पहला स्पॉन्सर मिला, जोकि कोल्हापुर के महाराजा ने किया था। जब यह ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में कुश्ती के लिए गए थे तो उन्होंने पहले कभी भी कुश्ती मैट पर पहलवानी नहीं की थी फिर भी यह फ्लाइट वेट डिवीजन में छठे स्थान पर आए थे।

1948 के ओलंपिक में जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पहलवान को केवल कुछ ही मिनट में नॉकआउट कर दिया था तो सभी जनता देख कर चौकन्नी रह गई थी। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के बिली जेर्निगन को भी हराया था, लेकिन बाद में वह इरान के पहलवान मनसूर रायसी से हार गए।

1952 का ग्रीष्मकालीन ओलंपिक

खाशाबा जाधव जी का ग्रीष्मकालीन ओलंपिक काफी दिलचस्प रहा था। 1948 में हारने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपने वजन पर ध्यान दिया और 125 पाउंड बेंटमवेट डिवीजन में 24 अलग-अलग देशों के पहलवान के बीच प्रतिस्पर्धा की।

1952 का ओलंपिक केडी जाधव जी के लिए काफी थका देने वाला था। क्योंकि एक मैच के बाद उन्हें तुरंत ही सोवियत संघ के राशिद मम्मडबेव से कुश्ती करने के लिए कहा गया था, जबकि किसी भी एक मैच के बाद 30 मिनट का ब्रेक होता है। फिर भी केडी जाधव जी राशिद से लड़े परंतु बहुत ही थके हारे होने के कारण वे इस मैच में हार गए।

परंतु फिर भी इन्होंने अपनी काफी ज्यादा हिम्मत दिखाई थी और 23 जुलाई 1952 को कई अलग-अलग पहलवानों को हराकर यह भारत के पहले पदक विजेता बने।

खाशाबा दादासाहेब जी की मृत्यु

खाशाबा दादासाहेब जी की मृत्यु सन 1984 में एक कार के दुर्घटना में हुई थी। उनकी पत्नी ने खाशाबा जी के लिए सहायता प्राप्त करने की भी कोशिश की पर वह नाकाम रही जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई।

खाशाबा दादासाहेब जाधव जी को मिले अवार्ड और सम्मान

  • ईनका सम्मान 1982 के एशियाई खेलों में मशाल रिले में भाग लेकर किया गया था।
  • 2000 में उनके मरने के बाद इन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • उनके मरने के बाद 1992 से 1993 में छत्रपति पुरस्कार महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिया गया था।
  • 2010 में दिल्ली के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए निर्माण किया गया कुश्ती क्लब को इनके नाम पर रखा गया।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने Khashaba Dadasaheb Jadhav biography in hindi जाना। उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको खासाबा दादा साहेब जी की कुश्ती और उनके बारे में अच्छी जानकारियां मिल पाई होंगी।

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